आहार : छोटे प्रशासनिक क्षेत्र जो महामात्रों के अधीन थे
आटविक : वन राज्य
आर्यपुत्र : राजा के निकट सम्बन्धी
आमात्य : अधिकारी वर्ग
अमात्य वर्ग : गुप्तचर विभाग का नियोक्ता
अश्वदमक : शाही घोड़ों का प्रशिक्षक
अंतपाल : सीमा क्षेत्र का सैन्य प्रभारी
अंत महामात्र : सीमान्त अधिकारी जो जनता को धम्म व सभ्यता के उपदेश देते थे
अध्यक्ष : मंत्री या विभागाध्यक्ष
अग्रमहिषी : पटरानी
अकृष्ट : बिना जुती हुई भूमि
आकराध्यक्ष : खानों का अधिकारी
आदेव मातृक : जिस भूमि पर वर्षा न हो
अनुसंधान : अधिकारियों का धर्म प्रचार
अनिकासनी : ऐसी स्त्रियाँ जो घर से बाहर न जाती हों…
अंत्येवासिन : मिश्रित वर्ग
अनीकस्थ : शाही हाथियों का प्रशिक्षक
अग्रोनोमई : नगर के अधिकारी
अग्रामात्य : प्रमुख आमात्य
अक्षपटल : केन्द्रीय लेखा कार्यालय
अन्तर्वशिक : शाही हरम का अध्यक्ष
आयुधागार : राज शस्त्रागार
अराकोसिया : चन्द्रगुप्त को दहेज में मिले चार राज्यों में से एक
अग्निस्कंध : एक प्रकार की धर्मसभा
अवन्ति : मौर्य का एक प्रांत जिसकी राजधानी उज्जैन थी
अवांगमुखी कमल : स्तम्भों का शीर्ष भाग
इफोरोई : अधिकारी
इंडिका : मेगास्थनीज की कृति (इसका मूलरूप उपलब्ध नहीं, पर यह स्ट्रोबे, प्लिनी व डायोडोरस के वर्णन पर आधारित है)
उट्ज : इस्पात
उपवास : काश्तकार
उपराजा : राजा का नायब
उपगुप्त : उत्तरी भारत की अनुश्रुति के अनुसार अशोक को बौद्ध धर्म में दीक्षित करने वाला
एरिया : चन्द्रगुप्त मौर्य को दहेज में प्राप्त प्रांत
एंटियोकस प्रथम : सेल्यूकस का उत्तराधिकारी जिसने बिन्दुसार के पास डाइमेकस नामक दूत भेजा
कृष्ट : जुती हुई भूमि
कुप्याध्यक्ष : वन सम्पत्ति का अध्यक्ष
कुमार : प्रांतीय शासक (शासक वर्ग से होता था)
कंटशोधन : फौजदारी न्यायालय
कृत्यगृह : वन उत्पादों का भण्डारगृह
कुणाल : अशोक का उत्तराधिकारी
कोषगृह : कोषागार
कार्मातिक : धान्य कर्मशाला
कर्मकार : खेत मजदूर
खावेटिक : 200 गाँवों का न्यायालय
खट्टालक : बिन्दुसार का मंत्री जिसने अशोक को राजा बनने में मदद दी
गोप : छोटे स्तर का राजस्व अधिकारी
गोध्यक्ष : पशु विभागाध्यक्ष
ग्रामकूट : ग्राम प्रधान
ग्रामणी : ग्रामीण प्रशासन का उत्तरदायी कर्मचारी
गूढ़ पुरुष : गुप्तचर
गेहविजय : राहुलोवादसुत्त का दूसरा नाम, जिससे धम्म का सार लिया गया
धम्म : अशोक द्वार प्रतिपादित नैतिक धर्म
धम्ममहामात्र : अशोक के राज्यारोहण के 14वें वर्ष नियुक्त, इसका कार्य जनता को धम्म समझाना व धर्म के प्रति रुचि पैदा करना
धर्मविवर्धन : कुणाल का विरुद
धर्म-चक्र-प्रवर्तन : सारनाथ में बुद्ध द्वारा पाँच ब्राह्मणों को दिया गया प्रथम उपदेश
चार : गुप्तचर
चक्र : प्रांत
चांडिय : उग्र व्यवहार से बचाव
दौवारिक : राजप्रसाद का द्वारपाल
दण्डपाल : पुलिस मंत्री
दुर्गपाल : गृह रक्षामंत्री
द्रोणमुख : 400 गाँवों का न्यायालय
दायक : राजा से सीधे आदेश प्राप्तकर्ता अधिकारी
देवाध्यक्ष : धार्मिक संस्थाओं का अध्यक्ष
द्रत्यवन : ऐसे वन जहाँ लकड़ी, लोहा व अन्य धातुएँ मिलती हैं
तीर्थ : अधिकारियों के विभाग
तक्षशिला : मौर्यों का प्रांत
धर्मस्थीय : दीवानी न्यायालय
नही : शूद्र का दास
नायक : नगर कोतवाल
नगरक : नगर मजिस्ट्रेट
नावाध्यक्ष : जहाजों का अध्यक्ष
नीवी ग्राहक : कोषाध्यक्ष
नायक पदादिनेत : पैदल सेना प्रमुख
निग्रोध : अशोक के बड़े भाई सुमन का पुत्र, जो भिक्षु था व जिसने अशोक को दीपवंश के अनुसार बौद्ध धर्म में दीक्षित किया
प्रादेशिक : जिलाधिकारी
प्रणय : आपातकालीन कर
पादात : पैदल
पत्तनाध्यक्ष : बन्दरगाह नगर प्रमुख
पाण्याध्यक्ष : वस्तुओं की खरीद-बिक्री का नियंत्रणकर्ता
प्रशास्ता : सेनापति के अधीन युद्ध कार्यालय
प्रवहरण : सामूहिक समारोह
प्रदेष्टा : नैतिक अपराधों का मुख्य न्यायाधीश
परिषा : मंत्रिपरिषद
पुलसिन : जनसम्पर्क अधिकारी
पौतवाध्यक्ष : माप-तौल का अध्यक्ष
प्लूटार्क : इसके अनुसार चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथी दिये
पेरीपेमिसदाई : चन्द्रगुप्त मौर्य को दहेज में मिला प्रांत
पौर : राजधानी का प्रशासक
प्रतिवेदक : राजा के समाचार वाहक
वज्रभूमिक : गौशाला निरीक्षक
बंधनागाराध्यक्ष : कारागृह अध्यक्ष
बुद्धशाक्य : राज्याभिषेक से सम्बन्धित लघु शिलालेख में अशोक ने अपने को कहा
बृहद्रथ : अंतिम मौर्य सम्राट
ब्रह्मदेय : राजा के शिक्षक, पुरोहित व वेदपाठी ब्राह्मण को दी जाने वाली भूमि
भिक्षुकी : महिला गुप्तचर
भृत : भाड़े के सैनिक
भाग : भूमिकर में राजा का हिस्सा
भोगागम : जेट्ठकों को निर्वाह हेतु ग्राम की ओर से मिलने वाला कर
मानवक : गुप्तचर
मूलवाप : जिस भूमि में जड़ वाली खेती हो
मगध : चाट या चारण
महामात्यापसर्प : गुप्तचर विभाग का अध्यक्ष
मूषिक कर : प्लेग फैलने पर नागरिकों से लिया जाने वाला कर
मित्रबल : मित्र राज्य की सेना
मेगास्थनीज : चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया राजदूत
मौहूर्तिक : राज ज्योतिष
मौल : प्रान्तीय सैन्य टुकड़ी युक्त खोई हुई सम्पत्ति प्राप्त होने पर उसकी रक्षा करने वाला अधिकारी
योनिपोषक : राजभवन का पशु अधिकारी
युक्त : जिला कोषाध्यक्ष या शाही सचिवालय का लेखा अधिकारी
रक्षिण : पुलिसकर्मी (आन्तरिक)
रथिक : सारथी
रज्जु : भूसर्वेक्षण से सम्बन्धित कर
राष्ट्रमुख्य : राज्यपाल, राष्ट्रपाल या ईश्वर
रंगोपजीवी : पुरुष कलाकार
रूपाजीवा : मुक्त रूप से वेश्यावृत्ति करने वाली
रूपदर्शक : सिक्के का अधिकारी
राजुक : चौथे स्तम्भ लेख के अनुसार अशोक कहता है कि मैंने प्रजा के सुख व कल्याण के लिए राजुकों की नियुक्ति की है, 26वें वर्ष अशोक ने स्वतन्त्रतापूर्वक कार्य करने की इजाजत दी
लक्षणाध्यक्ष : मुद्रा विभाग का निरीक्षक
लवणाध्यक्ष : नमक विभाग का अध्यक्ष
वात भूमि : गन्ना उगाये जाने वाली भूमि
वर्धकी : राज बढ़ई
विविताध्यक्ष : चारागाहों का प्रमुख
वार्ता : व्यापार, पशुपालन व कृषि का संयुक्त शब्द
वोहारिक : न्याय प्रशासन महामात्र
शण्ड भूमि : फल उगाने वाली भूमि
शूनाध्यक्ष : बूचड़खाना अध्यक्ष
शैलखनक : मूर्तिकार
शुल्काध्यक्ष : उत्पाद शुल्क अध्यक्ष
शून्यपाल : राजा के बाहर होने पर यह अधिकार उसका भार लेता था
संस्था : एक स्थान पर कार्य करने वाले गुप्तचर
संचारा : भ्रमणशील गुप्तचर
सामन्त दुर्ग : विदेशी राजा का दुर्ग
समाहर्ता : राजस्व वसूलने वाला
सप्तांग : कौटिल्य के अनुसार राज्य के जरूरी सात तत्त्व – 1. राजा, 2. अमात्य, 3. जनपद, 4. दुर्ग, 5. कोष, 6. सेना, 7. मित्र